
पटना। गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की 1994 में हुई हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे गैंगस्टर से राजनेता बने आनंद मोहन सिंह गुरुवार सुबह जेल से बाहर आ गए. उन्हें बिहार की सहरसा जेल से रिहा किया गया है.
ये जानकारी जेल अधिकारियों ने देते हुए बताया कि आनंद मोहन सुबह साढ़े चार बजे रिहा किये गए ताकि कानून-व्यवस्था पर असर न पड़े. आनंद मोहन सिंह की रिहाई का फैसला लेने से पहले बिहार सरकार को जेल नियमों में संशोधन करना पड़ा तभी उनकी रिहाई संभव हो पाई है.
इस बारे में हाल ही में बिहार सरकार द्वारा लिए गए एक फैसले के चलते आनंद मोहन सिंह सहित 27 दोषी रिहा किये गए. आनंद मोहन 1994 में गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था.
वैसे बिहार में बाहुबलियों की राजनीति में खूब हनक थी. 80 के दशक में बिहार की सियासत में वीरेंद्र सिंह महोबिया व काली पांडेय जैसे बाहुबलियों की एंट्री हुई जो 90 के दशक के अंत तक चरम पर पहुंच गई.
इसमें बाहुबली प्रभुनाथ सिंह, सूरजभान सिंह, पप्पू यादव, मोहम्मद शहाबुद्दीन, रामा सिंह व आनंद मोहन तो लोकसभा पहुंच गए, दूसरी ओर अनंत सिंह, सुरेंद्र यादव, राजन तिवारी, अमरेंद्र पांडेय, सुनील पांडेय, धूमल सिंह, रणवीर यादव, मुन्ना शुक्ला आदि विधायक व विधान पार्षद बन गए.
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यह वह दौर था जब बिहार में चुनाव रक्तरंजित हुआ करता था. वही साल 2005 में नीतीश कुमार के सत्ता में आने के बाद से स्थिति तेजी से बदलने लगी.दरअसल नीतीश सरकार ने 2006 में पुराने आपराधिक मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन किया.
इसके चलते कई दबंग अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के चलते चुनाव लड़ने से अयोग्य हो गए. धीमे-धीमे इन बाहुबलियों की हनक कमजोर पड़ती गई. फिलहाल कुछ जेल में सजा काट रहे हैं तो कुछ से पार्टियों ने ही दूरी बना ली है.