उमेश पाल अपहरण केस : अतीक अहमद दोषी करार
उमेश पाल और उनके सुरक्षा कर्मियों की पिछले महीने 24 फरवरी को प्रयागराज में बदमाशों ने गोली और बम मारकर हत्या कर दी थी।

प्रयागराज। उमेश पाल अपहरण केस में अतीक अहमद को प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट ने दोषी करार दिया है. 17 साल बाद इस केस में कोर्ट ने फैसला सुनाया है। कोर्ट ने बाहुबली अतीक अहमद दोषी करार दिया है। प्रयागराज कोर्ट के फैसले से अतीक अहमद को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। अतीक के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर जान को खतरा बताया था। वकील ने कोर्ट से सुरक्षा की मांग की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अतीक को जेल लाया गया है। यह इस कोर्ट का मामला नहीं है। आप हाईकोर्ट जाइए। राज्य सुरक्षा का ध्यान रखेगी।
उमेश पाल और उनके सुरक्षा कर्मियों की पिछले महीने 24 फरवरी को प्रयागराज में बदमाशों ने गोली और बम मारकर हत्या कर दी थी। उमेश पाल विधायक राजू पाल की हत्या के मामले में गवाह थे। उनसे गवाही बदलवाने के लिए अतीक ने 17 साल पहले 28 फरवरी 2006 को अतीक, अशरफ और उसके गुर्गों ने उमेश पाल का अपहरण कर लिया था। उन्हें अपने दफ्तर ले जाकर टार्चर किया और फिर जबरदस्ती हलफनामा दिलवाकर गवाही बदलवा दी। आज उमेश के साथ अतीक के गुनाहों का पहला इंसाफ हो गया है। एमपी-एमएलए सेशन कोर्ट ने अतीक-अशरफ समेत कुल 10 आरोपियों (11 आरोपियों में से एक की मौत हो चुकी है) को इस मामले में दोषी करार दिया है। अब उन्हें सजा सुनाई जाएगी।
पढ़े : अतीक अहमद का काफिला झांसी से प्रयागराज के लिए निकला
उमेश पाल पर अतीक के जुल्मों की कहानी कितनी खौफनाक है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2006 में जब उनका अपहरण हुआ तो एक साल तक वह अतीक के खिलाफ केस ही नहीं दर्ज करा पाए। अतीक के खिलाफ केस दर्ज हुआ यूपी की सत्ता में बसपा के आने और सुश्री मायावती के मुख्यमंत्री बनने के बाद। उमेश ने 5 जुलाई 2007 को अतीक और उसके गुर्गों के खिलाफ केस दर्ज कराया। उमेश ने इन पर अपहरण कर अपने दफ्तर में ले जाने, बंधक बनाने, जबरन हलफनामा तैयार कराने और गवाही दिलाने का आरोप लगाया था।
पुलिस का मामना है कि अतीक ने उमेश को किडनैप करने के बाद अपने दफ्तर के टार्चर रूम में बंधक बनाया था। वहीं उमेश की बेरहमी से पिटाई की गई थी और जबरन उससे हलफनामा लिया गया कि राजू पाल हत्याकांड में वह मौके पर नहीं था। हलफनामे के साथ अतीक के करीबियों ने उमेश पाल को ले जाकर कोर्ट में पेश किया जहां उसने गवाही दी थी कि हलफनामा वह अपने होशोहवास में लगा रहा है। उमेश ने अतीक के डर से गवाही दे दी थी कि वह राजू पाल हत्याकांड के वक्त मौके पर नहीं था। इसके बाद उमेश को अतीक के गुर्गों ने छोड़ दिया।