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किसानों को अब हाईवे के लिए जमीन देने पर टोल टैक्स में साझेदारी

जमीन पर विकसित होने वाले व्यावसायिक या आवासीय क्षेत्र का एक हिस्सा पुनर्वास के रूप में मिलेगा वापस

स्टेट हाईवे पर वाहनों की गति बढ़ाने और ट्रैफिक का दबाव कम करने के लिए राज्य सरकार एक अनूठी पहल करने जा रही है. इसके तहत राज्य राजमार्गों (स्टेट हाईवे) को चौड़ा करने के लिए जमीन देने वाले किसान टोल टैक्स में भी साझेदार होंगे. वही किसानों की जमीन पर विकसित किये जाने वाले व्यावसायिक या आवासीय क्षेत्र का एक हिस्सा भी उन्हें पुनर्वास के रूप में वापस मिलेगा.

इस योजना में किसानों की न्यूनतम 20 साल तक टोल टैक्स में साझेदारी रहेगी. वही हाईवे के निर्माण करने वाले कांट्रैक्टर की लागत का एक बड़ा हिस्सा भी उस जमीन में व्यावसायिक व आवासीय कॉम्प्लेक्स बनाकर निकाला जाएगा, जिससे परियोजनाओं में तीन भागीदार सरकार, किसान और विकासकर्ता होंगे. वही टेंडर से लेकर सभी नियम-शर्तें व अनुबंध केंद्रीय मंत्रालय की देखरेख में होंगे.

योजना के यूपी में पहले फेज में वो स्टेट हाईवे शामिल होंगे जिनका पीसीयू (पैसेंजर कार यूनिट) 20 हजार प्रतिदिन से ज्यादा है.
इस श्रेणी में लगभग 21 स्टेट हाईवे चयनित किये जा सकते है जिनके चौड़ीकरण व विकास के लिए कुल 60 मीटर चौड़ाई में जमीन ली जाएगी. अभी यहां 30-45 मीटर चौड़ाई में ही जमीन है.

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मामले में केंद्र सरकार से चयन को मंजूरी के बाद इन्हें सुपर स्टेट हाईवे का दर्जा मिलेगा. इस क्रम में पीडब्ल्यूडी ने हाईवे की पहचान के लिए काम शुरू कर दिया है. ये काम केंद्र की विशेष योजना के तहत होगा जिसके लिए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय और पीडब्ल्यूडी के बीच सहमति हहो चुकी है. वैसे ऐसा प्रयोग आंध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती के निर्माण के दौरान हो चुका है.

बताते चले कि अभी हाईवे के चौड़ीकरण के लिए किसानों से जमीन लेने पर राज्य सरकार को मुआवजे के रूप में अच्छी खासी रकम देनी नी पड़ती है जो यह परियोजना की लागत का 60 प्रतिशत तक होता है. वही किसान जब जमीन के एवज में मिली राशि खर्च कर देते है तब उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ जाती है.

हालांकि टोल टैक्स और व्यावसायिक व आवासीय क्षेत्रों में भागीदारी से ये समस्या सुलझ जाएगी.इस मामले में पीडब्ल्यूडी के विभागाध्यक्ष संदीप कुमार ने जानकारी दी कि पीपीपी मोड में हाईवे के विकास के बाद मिलने वाला रेवेन्यू (टोल टैक्स आदि) सभी पक्षों में किस तरह से शेयर होगा. इसके लिए आईआईएम लखनऊ से मदद ले रहे है. इस संबंध में पूरी कार्ययोजना भी तैयार की जा रही है.

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