
वॉशिंगटन. हाल ही में अमेरिका में सिलिकॉन वैली बैंक पर रेगुलटर्स के ताला लगाने के बाद अब अमेरिका के एक और बैंक सिग्नेचर बैंक को भी सीज कर लिया गया है. वही अमेरिका में एक हफ्ते के अन्दर ही 2 बैंकों के बिखर जाने से आर्थिक मंदी की आहट से दुनिया सहम गयी है.
रेगुलेटर्स ने रविवार को घोषणा की कि सिग्नेचर बैंक केपास 110 बिलियन डॉलर की संपत्ति है. अमेरिका के इतिहास के अनुसार यह तीसरा सबसे बड़ा बैंक फेल्योर है. इससे पहले सिलिकॉन वैली बैंक 2008 के वित्तीय संकट के बाद टूटने वाले बैंकों में सबसे बड़ा रिटेल बैंक है.
कई लोग इसे आर्थिक मंदी की शुरुआत के तौर पर देख रहे क्योंकि 2008 की मंदी की शुरुआत भी बैंक के क्रैश होने के बाद हुई थी. बैंकों के क्रैश होने की खबर के बाद दुनियाभर के शेयर बाजार बुरी तरह ढेर हो गए जिसका भारतीय बाजार खासकर भारतीय बैंकिंग सेक्टर पर भी असर देखने को मिल रहा है.
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इस बारे में अमेरिकी अथॉरिटीज़ ने जानकारी दी कि ग्राहकों की हर जरूरतों को पूरा किया जाएगा. एक संयुक्त बयान में, यूएस ट्रेजरी सहित वित्तीय एजेंसियों ने कहा कि SVB जमाकर्ताओं को सोमवार (13 मार्च) से उनके पैसों का एक्सेस मिलेगा और अमेरिकी टैक्सपेयर्स को बिल का कोई भुगतान नहीं करना होगा.
वैसे अमेरिकी में संकटग्रस्त बैंकों के गिरने से भारत पर असर पड़ने की संभावना के चलते भारत सरकार भी हालत पर नजर बनाये हुए है.
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर के अनुसार वे टेक स्टार्टअप्स में लोगों से मिलकर पता लगाने का प्रयास करेंगे कि भारत पर इसका क्या असर होगा. बताते चले कि शुक्रवार को सिलिकॉन वैली बैंक ) कोलैप्स हो गया है.
मुख्य तौर पर टेक सेक्टर के लिए वेंचर कैपिटल फाइनेंसिंग की रीढ़ इस बैंक के टूटने से कयास लग रहे हैं कि इससे 10 हजार स्टार्टअप्स को गहरा धक्का लगेगा और लगभग 1 लाख लोगों के रोजगार पर असर पड़ेगा. हालांकि रविवार को ही न्यू यॉर्क रेलुगरटर्स ने दूसरे बैंक के धराशायी होने की घोषणा से लोग परेशान है.