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देश का कोई भी कानून बिजली दर में बढोत्तरी की इजाजत नहीं देता : उपभोक्ता परिषद

उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का प्रदेश की बिजली कंपनियों पर लगभग 25133 करोड रुपया सरप्लस निकल रहा है।

लखनऊ। विद्युत नियामक आयोग द्वारा जहां कल प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों की वार्षिक राजस्व आवश्यकता व बिजली दर बढ़ोत्तरी प्रस्ताव को सुनवाई हेतु स्वीकार किए जाने के बाद बिजली दर बढोत्तरी की सुनवाई करने की हरी झंडी सभी बिजली कंपनियों को दे दिया है। वहीं आज उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने नियामक आयोग के सचिव संजय कुमार सिंह व सदस्य वी के श्रीवास्तव से मिलकर एक लोक महत्व याचिका दाखिल किया है।

देश का कोई भी कानून उस राज्य में बिजली दर में बढोत्तरी की इजाजत नहीं देता। जिस राज्य में उस राज्य के उपभोक्ताओं का सरप्लस पैसा बिजली कंपनियों पर ही निकल रहा हो । उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का प्रदेश की बिजली कंपनियों पर लगभग 25133 करोड रुपया सरप्लस निकल रहा है। ऐसे में कानूनन उत्तर प्रदेश में बिजली बढोत्तरी के मुद्दे पर सुनवाई नहीं की जा सकती।

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विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 62 राज्य नियामक आयोग ओ को टैरिफ निर्धारण की इजाजत देता है लेकिन जिस राज्य में उपभोक्ताओं का सरप्लस निकलता है वहां टैरिफ में बढोत्तरी नहीं घटोत्तरी के लिए सुनवाई की जाती है। उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग से रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के तहत संवैधानिक परिपाटी को बचाने के लिए वर्तमान वार्षिक राजस्व आवश्यक्ता वर्ष 2023-24 के साथ ही इस पूरे मामले पर भी निर्णय कराए जाने का अनुरोध किया है।

उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन आर पी सिंह किसी महत्वपूर्ण मीटिंग के सिलसिले में दिल्ली गए हुए हैं उनके लखनऊ आने के बाद उपभोक्ता परिषद उनसे मुलाकात कर प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के लंबे समय से विचाराधीन मुद्दे पर इस टैरिफ प्रक्रिया में उसे शामिल कराकर अंतिम निर्णय कराने की मांग उठाएगा।

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