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भौमवती अमावस्या के स्नान दान का जानें विशेष महत्व

पंचांग के अनुसार भौमवती अमावस्या 21 मार्च दिन मंगलवार को 01 बजकर 47 मिनट से प्रारंभ हो रही है जो 21 मार्च को ही रात 01 बजकर 52 मिनट पर समाप्त होगी।

लखनऊ। भौमवती अमावस्या के दिन लोग हनुमान जी और मंगल देव की पूजा अर्चना करते हैं। इस दिन लोग प्रात: काल उठकर स्नान और दान करते हैं। ऐसा करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। इससे हनुमान जी का आशीर्वाद भक्तों के साथ हमेशा बना रहता है। चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि यानी 21 मार्च को भौमवती अमावस्या है।

पंचांग के अनुसार भौमवती अमावस्या 21 मार्च दिन मंगलवार को 01 बजकर 47 मिनट से प्रारंभ हो रही है जो 21 मार्च को ही रात 01 बजकर 52 मिनट पर समाप्त होगी। भौमवती अमावस्या के दिन पितरों को तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं। इससे घर में सुख शांति बनी रहती है, वहीं हनुमान जी की पूजा अर्चना करने से सारे कष्ट दूर होते हैं।

पूजा मुहूर्त : भौमवती अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त प्रात: 04 बजकर 49 मिनट से सुबह 05 बजकर 37 मिनट तक है। आपको बता दें कि इस दिन 06 बजकर 24 मिनट पर सूर्योदय होगा। सर्वार्थ सिद्धि योग शाम 05:25 बजे से शुरू होकर अगले दिन 22 मार्च को सुबह 06:23 बजे तक रहेगा। इस दिन शुभ योग प्रात:काल से लेकर दोपहर 12 बजकर 42 मिनट तक है।

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अमावस्या तिथि पर करें इन चीजों का दान : ऐसा कहा जाता है कि इस दिन ब्राह्मण को धोती और गमछा दान करने पर पितर बेहद प्रसन्न होते हैं। साथ ही ब्राह्मण के दान से व्यक्ति को नौकरी में आ रही समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है। इसके अलावा आप कोई चांदी की वस्तु भी दान में दे सकते हैं। ऐसा करने से आपको जीवन में सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होगा। आप चाहें तो ब्राह्मण को दूध और चावल का दाम भी दे सकते हैं। इस तरह के दान से वंश की वृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस बात का ख्याल रखें की अमावस्या के दिन आप जो भी दान करें उस दौरान अपने हाथ में काले तिल जरुर लें।

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