उत्तर प्रदेशलखनऊ
Trending

69000 सहायक शिक्षक भर्ती मामले को लेकर शिक्षा मंत्री के घर के बाहर प्रदर्शन

हाईकोर्ट ने इसके साथ ही भर्ती परीक्षा के क्रम में आरक्षित वर्ग के अतिरिक्त 6800 अभ्यर्थियों की 5 जनवरी 2022 को जारी हुई चयन सूची को भी खारिज कर दिया।

लखनऊ। 69000 सहायक शिक्षक भर्ती में आरक्षण की मांग को लेकर अभ्यर्थियों ने बुधवार सुबह शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के घर के बाहर जमकर प्रदर्शन किया। इस दौरान पुलिस ने  जबरन सभी अभ्यर्थियों को गाड़ियों में भरकर ईको गार्डन पहुंचाया गया। वहीं, अभ्यर्थियों ने शासन के खिलाफ नारेबाजी की। आप को बता दें कि अभी दो दिन पहले हाईकोर्ट ने 69 हजार शिक्षक भर्ती की चयन सूची को रद्द कर दिया है।

हाइकोर्ट  ने इसके साथ ही भर्ती परीक्षा के क्रम में आरक्षित वर्ग के अतिरिक्त 6800 अभ्यर्थियों की 5 जनवरी 2022 को जारी हुई चयन सूची को भी खारिज कर दिया। इस चयन सूची को यह कहते हुए चुनौती दी गई थी कि इसे बिना किसी विज्ञापन के जारी किया गया था। कोर्ट का कहना है कि आरक्षण तय करने में नियमों का पालन नहीं हुआ है। न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने 117 याचिकाओं का निस्तारण करते हुए यह फैसला सुनाया।

पीठ ने कहा कि राज्य के अधिकारियों ने सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा के तहत उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षकों की नियुक्ति के लिए आरक्षण तय करने में कई ‘अवैध’ काम किए हैं। न्यायमूर्ति शुक्ला ने कहा, ‘जाहिर है, एटीआरई 2019 में शामिल होने वाले आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों के प्राप्तांकों और विवरण में कोई स्पष्टता नहीं थी। राज्य के अधिकारियों की ओर से इसके लिए कोई प्रयास नहीं किया गया।

अदालत ने सरकार को आदेश दिया कि वह वर्ष 2019 में हुई सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा के बाद एक जून 2020 को जारी चयन सूची की अगले तीन महीने के अंदर समीक्षा करके समुचित आरक्षण तय करे। पीठ ने पांच जनवरी 2022 को जारी 6800 शिक्षकों की चयन सूची को भी रद्द कर दिया। पीठ ने चयन सूची सार्वजनिक होने के बाद नौकरी कर रहे शिक्षकों से सहानुभूति व्यक्त करते हुए कहा, ‘पहले से नियुक्त और वर्तमान में एटीआरई 2019 के आधार पर चयनित विभिन्न जिलों में तैनात सहायक शिक्षक अपने पद पर तब तक काम करना जारी रखेंगे जब तक कि राज्य के अधिकारी चयन सूची को संशोधित नहीं करते। इन शिक्षकों को परेशान नहीं किया जाएगा।

पढ़े :  प्रदेश में अब सांड और नीलगाय के हमले में जख्मी होने पर मुआवजा

चयन सूची की समीक्षा में हटाए जा सकने वाले शिक्षकों के प्रति सहानुभूति दिखाते हुए पीठ ने कहा, ‘ऐसे शिक्षक, जिन्हें नियुक्त किया गया है और पिछले दो वर्षों से अधिक समय से काम कर रहे हैं, उन्हें दोषी नहीं ठहराया जा सकता। चाहे वे आरक्षित श्रेणी के हों या अनारक्षित श्रेणी के। राज्य सरकार उन शिक्षकों के समायोजन के लिए एक नीति तैयार करे जिन्हें एक जून 2020 की चयन सूची में संशोधन होने पर पद से हटाया जा सकता है।

कोर्ट ने चयनित हो चुके अभ्यर्थियों को राहत देते हुए यह भी कहा कि ऐसे सहायक अध्यापक जो कि वर्तमान समय में कार्यरत हैं, चयन सूची को संशोधित किए जाने की प्रक्रिया अपनाए जाने तक उनकी सेवा में किसी भी प्रकार का कोई हस्तक्षेप ना किया जाएं। याचियों की तरफ से अधिवक्ता दीपक सिंह ने कोर्ट को बताया कि 69000 सहायक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण नियमावली का सही से पालन नहीं किया गया। इस कारण आरक्षित वर्ग में चयनित 18,988 अभ्यर्थियों को जारी कटऑफ में 65 परसेंट से ज्यादा अंक प्राप्त करने के बावजूद सामान्य श्रेणी की सूची में शामिल नहीं किया गया। इनकी नियुक्ति प्रक्रिया को आरक्षित श्रेणी में ही पूरा कर दिया गया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button