
नयी दिल्ली। केन्द्रीय इस्पात एवं नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने देश की विकास यात्रा में जिंक यानी जस्ते की उपयोगिता को रेखांकित करते हुए गुरुवार को कहा कि देश में जस्ते के साथ मिश्रित करके जंगरोधी इस्पात बनाने की एक महत्वाकांक्षी योजना पर काम हो रहा है। सिंधिया ने यहां अंतरराष्ट्रीय जिंक संघ (आईजेडए) ने हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (एचजेडएल) द्वारा राजधानी में वैश्विक जिंक शिखर सम्मेलन के चौथे संस्करण के उद्घाटन अवसर पर अपने संबोधन में यह बात कही।
इस सम्मेलन में सूर्य रोशनी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक एवं संसद सदस्य राजू बिष्ट आईजेडए के अध्यक्ष एवं हिंदुस्तान जिंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुण मिश्रा, आईजेडए के कार्यकारी निदेशक डॉ एंड्रयू ग्रीन एवं निदेशक (भारत) डॉ राहुल शर्मा, तथा उद्योग जगत के अन्य नेताओं ने ग्लोबल ट्रेंड्स एवं इंफ्रास्ट्रक्चर, कृषि, ऑटोमेटिव इंडस्ट्री, रेलवे आदि तथा टिकाऊ विकास की परियोजनाओं में जिंक के उपयोग को लेकर विचार-विमर्श किया।
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भारत के सबसे बड़े गैल्वनाइजिंग शिखर सम्मेलनों में से एक, इस सम्मलेन में 100 से अधिक भारतीय एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने इसमें भाग लिया, जिसमें मंत्रालय के अधिकारी, विचारक, जिंक उत्पादक, गैल्वनाइज़र, गेल्वेनाइज़्ड उत्पादों के अंतिम उपयोगकर्ता, रेलवे उद्योग के अधिकारी, राजमार्ग प्राधिकरण, आर्किटेक्ट, डिज़ाइन कंसलटेंट तथा पत्रकार शामिल थे।
इस मौके पर समारोह को संबोधित करते हुए श्री सिंधिया ने कहा कि भारत दुनिया के चार सबसे बड़े जस्ता उत्पादकों में से एक है जो दुनिया के कुल जस्ते का लगभग छह प्रतिशत उत्पादन करता है जिसकी खपत घरेलू बाजार में होती है।उन्होंने कहा कि भारतीय रेलवे और भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड (सेल) देश में जंगरोधी इस्पात बनाने के लिए मिल कर काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जस्ता एक उत्कृष्ट जंगरोधी धातु है। हमारे जस्ते की लगभग 80 फीसदी खपत स्टील ट्यूबों, वायर्स, शीट्स, स्ट्रक्चर्स, फोस्टर वाइज मार्किट, केबल्स और ट्रेड के हॉट गैल्वनाइजिंग में होती है। इसके अलावा राजमार्ग, नवीकरणीय ऊर्जा, ग्रामीण विद्युतीकरण जैसे बड़े पूंजीगत व्यय वाले क्षेत्र हैं।
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साथ ही इस साल के बजट में लगभग 10 लाख करोड़ के पूंजीगत व्यय कार्यक्रम का अनुमान लगाया गया है, जिससे नए बाजार आएंगे और जो नए अवसरों की शुरुआत करेंगे। उन्होंने कहा कि गैल्वेनाइज्ड स्टील न केवल जीवनकाल बढ़ाता है बल्कि यह हमारी अवसंरचना को और अधिक सुंदर एवं सुरक्षित बनाता है। उन्होंने इस्पात उद्योग के बारे में कहा कि वर्ष 2030 तक देश में इस्पात उत्पादन को 15 करोड़ टन से दोगुना करके 30 करोड़ टन करने के लिए बड़े पैमाने पर काम हो रहा है। भारत आज पहले से ही दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्टील उत्पादक है और वैश्विक स्तर पर जस्ते के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है जो कि देश के लिए गर्व का एक महत्वपूर्ण क्षण है।