सब्जी की खेती से इस किसान को सालाना 8 से 10 लाख तक की आय
कृषि उपकरणों के लिए आसान मदद और नवीन तकनीकों के प्रयोग से लिखी सफलता की कहानी

किसानों को खेती में होने वाली आमदनी में काफी उतार-चढाव रहता है जबकि सब्जी की खेती तो मौसमी होती है जिसे बेचने में और संकट रहता है क्योंकि ताज़ी सब्जी खेतों से दुकानों तक पहुंचाने के चलते कई बार उन्हें अपनी उपज कम लागत पर भी बेचनी पड़ती है।
अब ऐसे में आपको सुनने को मिले कि किसी की सब्जी बेचने से सालाना आय 8 से 10 लाख रुपए तक हो रही है तो आप हैरान रह जायेंगे। ये सब्जी उत्पादक है छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के विकासखण्ड बैकुण्ठपुर के महोरा ग्राम के कृष्णदत्त,
जिन्होंने कृषि उपकरणों के लिए आसान मदद और नवीन तकनीकों के प्रयोग से सफलता की नई कहानी लिख रहे है। श्री कृष्ण दत्त पहले 5 एकड़ सिंचित रकबे में पुरानी तकनीक से धान तथा मक्के की खेती करते थे जिससे उन्हें थोड़ी-बहुत आमदनी हो थी।
फिर उन्होंने उद्यानिकी विभाग द्वारा राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना के बारे में पता चलने पर विभाग से सम्पर्क किया। सब्जी उत्पादक कृष्ण दत्त के अनुसार टपक सिंचाई योजना का लाभ वर्ष 2019-20 में मिला। उन्होंने 2.5 एकड़ में लगभग 1.29 लाख की लागत से शुरुआत की।

इस भूमि में लगे ड्रिप में 70 फीसदी विभागीय अनुदान मिलता है और 30 फीसदी कृषक को वाहन करना पड़ता है। कृष्ण दत्त के अनुसार नई तकनीक के उपयोग से उन्होंने उद्यानिकी फसल जैसे गोभी, मिर्च, बैंगन, टमाटर, कददू, पपीते की खेती की है और उन्हें एक साल में 8 से 10 लाख रुपए तक का लाभ हो रहा है।
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उन्हें पैक हाउस योजना, शेड नेट योजना, पावर वीडर योजना और डीबीटी योजना का भी काफी लाभ मिला है।
बताते चले कि ड्रिप सिंचाई प्रणाली में पौधों को संतुलित मात्रा में पानी मिल रहा है। इसमें पौधों को उनकी आवश्यकतानुसार पानी को बूंद-बूंद के रूप में पौधों के जड़ क्षेत्र में मिलता है।
वही टपक (ड्रिप) सिंचाई प्रणाली में अपने खेतों, बागों की बड़ी आसानी से सिंचाई होती हैं। बताते चले कि उद्यानिकी में शासकीय योजनाओं और नवीन तकनीक के संगम से सब्जी उत्पादकों व किसानों को बड़ा लाभ है।
वही किसान कृषि उपकरणों के लिए आसान मदद और नवीन तकनीकों के लिए शासकीय विभागों से मिल रहे मार्गदर्शन से सब्जी की नई किस्मों में हाथ आजमा रहे हैं।