जम्मू-कश्मीर में परिसीमन के खिलाफ दायर सभी याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज
श्रीनगर के निवासी श्री खान के अलावा डॉ मोहम्मद अयूब मट्टू ने विधानसभा सीटों की संख्या 107 से बढ़ाकर 114 करने की अधिसूचना को चुनौती दी थी।

नयी दिल्ली । उच्चतम न्यायालय ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सोमवार को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति ए. एस. ओका की पीठ ने हाजी अब्दुल गनी खान एवं अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई के बाद उन्हें खारिज करने का आदेश पारित किया।
शीर्ष अदालत ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पिछले साल एक दिसंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। श्रीनगर के निवासी श्री खान के अलावा डॉ मोहम्मद अयूब मट्टू ने विधानसभा सीटों की संख्या 107 से बढ़ाकर 114 करने की अधिसूचना को चुनौती दी थी।
पीठ ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है कि उसने संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने से संबंधित जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम-2019 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर को फैसला नहीं सुनाया है। यह मामला शीर्ष अदालत के समक्ष लंबित है।
जम्मू और कश्मीर में परिसीमन प्रक्रिया अतीत में एक विवादास्पद मुद्दा रही है, विभिन्न समुदायों और राजनीतिक समूहों ने अपने राजनीतिक प्रतिनिधित्व पर निर्वाचन क्षेत्र की सीमाओं के पुनर्निर्धारण के संभावित प्रभाव के बारे में चिंता जताई है। हालांकि, भारत सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि परिसीमन प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से की जाएगी, और यह कि आयोग सभी संबंधित पक्षों के विचारों को ध्यान में रखेगा।