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…तो लंदन व न्यूयॉर्क सहित भारत के शहरों पर भी पानी में डूबने का खतरा 

दरअसल बढ़ते तापमान से ग्लेशियर पिघलने से समुद्री जलस्तर में वृद्धि हो रही है और इससे कई शहरो के पानी में डूबने का खतरा उत्पन्न हो गया है

ग्लोबल वार्मिंग के चलते बढ़ते खतरे से तापमान बढ़ता जा रहा है और कहा जा रहा है कि कई जगहों पर तापमान इतना बढ़ जायेगा कि लोगों का वहां रहना मुश्किल हो जायेगा लेकिन इससे एक और बड़ा खतरा भी आने वाले समय में सामने आएगा।

दरअसल बढ़ते तापमान से ग्लेशियर पिघलने से समुद्री जलस्तर में वृद्धि हो रही है और इससे कई शहरो के पानी में डूबने का खतरा उत्पन्न हो गया है।

इस बारे में जिनेवा स्थित विश्व मौसम विज्ञान संगठन  (डब्ल्यूएमओ) की एक रिपोर्ट के अनुसार  समुद्र का  स्तर बढ़ना पूरे विश्व में एक जैसा नहीं है और क्षेत्रीय रूप से भिन्न होता है। हालांकि, समुद्र का स्तर लगातार बढ़ने से  किनारों पर बसे शहरों, बस्तियों और बुनियादी ढांचे के जलमग्न होने खतरा है।

इसके अलावा तटीय पारिस्थितिक तंत्र पर भी इसका असर होगा, और समुद्र का स्तर निरंतर बढ़ने से खाद्य सुरक्षा पर भी खतरा हो जाएगा।

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डब्ल्यूएमओ की रिपोर्ट- ‘ग्लोबल सी-लेवल राइज़ एंड इंप्लीकेशन्स’ के अनुसार भारत, चीन, बांग्लादेश और नीदरलैंड वैश्विक स्तर पर समुद्रीजलस्तर में वृद्धि के उच्चतम खतरे का सामना कर रहे हैं। यानि विभिन्न महाद्वीपों के कई बड़े शहरों के सामने समुद्री जलस्तर में वृद्धि के कारण डूबने का खतरा हो सकता हैं।

इनमें शंघाई, ढाका, बैंकॉक, जकार्ता, मुंबई, मापुटो, लागोस, काहिरा, लंदन, कोपेनहेगन, न्यूयॉर्क, लॉस एंजिल्स, ब्यूनस आयर्स और सैंटियागो भी हैं।

डब्ल्यूएमओ ने बताया कि वैश्विक औसत समुद्र स्तर 2020 के स्तर के सापेक्ष 0.15 मीटर बढ़ जाता है, तो संभावित रूप से 100 साल की तटीय बाढ़ के संपर्क में आने वाली आबादी में लगभग 20 फीसदी वृद्धि होने का अनुमान है।

समुद्र का औसत स्तर 0.75 मीटर बढ़ने से  40 फीसदी और 1.4 मीटर की वृद्धि होने पर 60 फीसदी  आबादी तटीय बाढ़ से प्रभावित होगी। रिपोर्ट के अनुसार  2020 तक वैश्विक आबादी का लगभग 11 फीसदी यानी 896 मिलियन लोगों का कम ऊंचाई वाले तटीय क्षेत्रों में निवास हैं।

संभवत: 2050 तक यह आबादी 1 बिलियन से  ज्यादा हो जाएगी। ये लोग समुद्र के स्तर में वृद्धि सहित जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते जोखिमों का सामना कर रहे हैं।

इस रिपोर्ट के अनुसार डब्ल्यूएमओ ने इसे एक प्रमुख आर्थिक, सामाजिक और मानवीय चुनौती कहा क्योंकि  समुद्र के स्तर में वृद्धि से तटीय कृषि भूमि और जल भंडार और बुनियादी ढांचे के साथ-साथ मानव जीवन और आजीविका पर भी खतरा होगा।

बताते चले कि औसत समुद्र-स्तर की वृद्धि के प्रभावों को तूफान की वृद्धि और ज्वारीय विविधताओं से बढ़ावा मिलता है, जैसे  न्यूयॉर्क में तूफान सैंडी और मोजाम्बिक में चक्रवात इडाई की लैंडफॉल के दौरान स्थिति बनी थी।

जलवायु मॉडल और महासागर-वायुमंडल भौतिकी पर आधारित भविष्य के अनुमानों के अनुसार अंटार्कटिका में सबसे बड़े ग्लेशियर के पिघलने की गति अनिश्चित है।

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