देश में करीब हर साल 50,000 से ज्यादा बच्चे कैंसर से ग्रसित होते हैं
यह जानकारी अंतर्राष्ट्रीय बाल कैंसर दिवस के अवसर पर कल्याण सिंह सुपर स्पेशलिटी कैंसर संस्थान के निदेशक प्रो आरके धीमन ने दी।

लखनऊ। बच्चों में कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। हर साल देश के करीब 50,000 से बच्चे कैंसर ग्रसित होते हैं, इनमें से हर पांचवा बच्चा यूपी का होता है। इनमें से केवल आधे को ही इलाज मिल पाता है और बाकी आधे अस्पताल भी नहीं पहुंच पाते हैं।
यह जानकारी अंतर्राष्ट्रीय बाल कैंसर दिवस के अवसर पर कल्याण सिंह सुपर स्पेशलिटी कैंसर संस्थान के निदेशक प्रो आरके धीमन ने दी। संस्थान में इस मौके पर हुए कार्यक्रम में उन्होंने बच्चों के कैंसर की जागरूकता पर बल दिया। उन्होंने यह भी बताया कि संस्थान में पीडियाट्रिक आन्कोलॉजी विभाग है।
सर्जिकल और रेडिएशन आन्कोलॉजी विभाग के सहयोग से बच्चों के कैंसर का उपचार किया जा रहा है। उन्होंने भविष्य में बच्चों के कैंसर के इलाज के लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांट यूनिट और इम्यूनोथेरेपी भी शुरू करने की बात कही। संस्थान के पीडियाट्रिक आन्कोलॉजी की असिस्टेंट प्रो डॉ. गीतिका पंत ने बताया कि ब्लड कैंसर (ल्यूकेमिया) बचपन में होने वाला सबसे प्रमुख कैंसर है। लंबे समय तक बुखार, थकान, शरीर में चकत्ते पड़ना और खून की कमी इसके प्रमुख लक्षण हैं। उन्होंने कहा कि यदि समय पर इलाज मिले तो ल्यूकेमिया कीमोथेरेपी से ठीक हो सकता है।
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वहीं दूसरा प्रमुख ब्रेन कैंसर है जो उल्टी और अधिक सिरदर्द के साथ सुनने की कमी और दृष्टि को धुधला करता है। तीसरा प्रमुख कैंसर लिम्फोमा है जिसमें लिम्फनोड में सूजन और वजन कम होने के साथ बुखार भी आता है। बच्चों में होने वाले अन्य ट्यूमर में आंख (रेटिनोब्लास्टोमा), हड्डियां (इविंग्स सार्काेमा और आस्टियोसारकोमा), किडनी (विल्म्स ट्यूमर), एड्रेनल्स (न्यूरोब्लास्टोमा), लिवर (हेपेटोब्लास्टोमा), मांसपेशियां (रबडोमायोसार्काेमा) आदि हैं।
कीमोथेरेपी, सर्जरी और रेडियोथेरेपी से इनमें से अधिकांश ट्यूमर का इलाज संम्भव है। पब्लिक हेल्थ के असिस्टेंट प्रो. डा. आयुष ने बताया कि बच्चों में होने वाले कैंसर को काफी हद तक रोका नहीं जा सकता है, इसलिए जागरूकता ही एकमात्र उपाय है। जिससे इन कैंसर की शीघ्र पहचान की जा सकती है।
रेडिएशन आन्कोलॉजी के असिस्टेंट प्रो. डा. प्रमोद कुमार गुप्ता ने संस्थान में बाल कैंसर के इलाज के लिए उन्नत रेडियोथेरेपी तकनीकों के बारे में बताया। एनेस्थिसियोलॉजी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. हिमांशु प्रिंस यादव ने बाल चिकित्सा कैंसर में पेलैटिव केयर की भूमिका के बारे में बताया।