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अल नीनो इफेक्ट के चलते इस साल भारत पर पड़ेगा ये असर, पढ़ें रिपोर्ट

भारत को छह वर्षों में 10 फीसदी या उससे अधिक की वर्षा की कमी देखनी पड़ी है. शोध के अनुसार भारत में सूखे के अधिकांश वर्ष अल नीनो से मेल खाते हैं

ग्लोबल वार्मिंग के चलते  कई जगहों पर तापमान बढ़ने की रिपोर्ट है तो इसके साथ मौसम के चक्र में भी बदलाव देखने को मिल रहा है. अब एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में अभी मानसून की आमद नहीं हुई है लेकिन देश के सूखे से प्रभावित होने का अंदेशा हो गया है.

रिपोर्ट के अनुसार इस साल देश में अल नीनो इफेक्ट  के चलते बारिश और बर्फबारी के बहुत कम होने का अनुमान है. वही अल नीनो का प्रभाव पड़ने से कृषि उत्पादन में गिरावट होगी तो खाद्य पदार्थों की कीमतो में भी तेजी से बढ़ोतरी होगी.

जानकारी के अनुसार अमेरिका स्थित राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन (एनओएए) की जून-दिसंबर 2023 रिपोर्ट की माने तो पिछले 20 वर्षों में जहां भी सूखे जैसे हालत रहे है, वहां अल नीनो का प्रभाव रहा है.

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इसी के साथ कहा जा रहा है कि भारत में भी इस साल सूखे के चलते खाद्य कीमतों में उतार-चढ़ाव रहेगा और राज्यों के अनाज खरीदने की क्षमता में कमी होगी.

अमेरिका स्थित राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन (एनओएए) ने अल नीनो के फिर से उभरने की भविष्यवाणी के साथ कई शोध रिपोर्टों के हवाले से  चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति को उच्च बनाए रखते हुए कृषि उत्पादन में गिरावट की संभावना है.

दरअसल अल नीनो और ला नीना प्रशांत महासागर में जलवायु पैटर्न हैं. वैसे भारत को छह वर्षों में 10 फीसदी  या उससे अधिक की वर्षा की कमी देखनी पड़ी है. शोध के अनुसार भारत में सूखे के अधिकांश वर्ष अल नीनो से मेल खाते हैं.

वही मौसम विभाग द्वारा 22 फरवरी की एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार इस माह अधिकतम तापमान गेहूं उगाने वाले उत्तर-पश्चिम भारत में सामान्य से 3-5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा है और उच्च तापमान के चलते पिछले मार्च में अनाज का उत्पादन 3 मिलियन टन कम रहा था और सरकार ने मई में गेहूं के निर्यात पर रोक लगाई थी.

इसके साथ सब्सिडी वाले राशन के पात्र  गरीब लोगों को गेहूं खाने वाले उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सहित 10 राज्यों में गेहूं के बदले चावल मिला था. यानि  राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत गेहूं का आवंटन 24 मिलियन टन से कम कर 18 मिलियन टन किया गया था.

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