
सेवा पथ न्यूज़ डेस्क । उत्तर प्रदेश के युवा टेबल टेनिस खिलाड़ी दिव्यांश श्रीवास्तव ने मध्य प्रदेश में आयोजित खेलो इंडिया यूथ गेम्स में यूथ बालक एकल में रजत पदक और यूथ बालक युगल में स्वर्ण पदक जीतकर अपनी काबिलियत का परचम लहरा दिया है।
मध्यमवर्गीय परिवार के दिव्यांश ने टेबल टेनिस में तय किया मुश्किलों भरा सफ़र
हालांकि दिव्यांश के लिए यहाँ तक का सफ़र आसान नहीं था. लखनऊ के मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले दिव्यांश को इसके लिए काफी संघर्ष भी करना पड़ा।
दरअसल दिव्यांश के पिता एक ड्राइवर है और उनकी मां गृहिणी हैं। उनके परिवार के लिए ये काफी मुश्किल था कि वो अपने बेटे की ट्रेनिंग में आने वाले खर्चे को वाहन कर सके, यहाँ तक कि वो खेल के लिए जरुरी चीजों को भी खरीदने में असमर्थ थे।
हालांकि उन्होंने जब अपने बेटे के खेल के लिए जूनून को देखा तो फिर तमाम आर्थिक दिक्कतों के बाद भी बेटे को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
दिव्यांश श्रीवास्तव ने आयोजित खेलो इंडिया यूथ गेम्स में यूथ बालक एकल के फाइनल में बंगाल के अंकुर भट्टाचार्य से 1-4 से हार के चलते रजत जीता और वो इससे पहले सार्थ मिश्रा के साथ जोड़ी बनाकर खेलते हुए यूथ बालक युगल के फाइनल में वेस्ट बंगाल के सुजल बैनिक व बोधिसत्व चौधरी को 3-1 से हराकर स्वर्ण पदक जीता था।
दिव्यांश इससे पहले भी कई राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट में पदक जीतकर नाम रोशन कर चुके है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए छह कांस्य और दो रजत पदक जीते हैं। लगातार मेडल जीत रहे दिव्यांश ने 5 नेशनल चैंपियनशिप खेली और 20 मेडल जीते है।
लगातार मेडल जीत रहे दिव्यांश ने 5 नेशनल चैंपियनशिप खेली और जीते 20 मेडल
एक अंतरराष्ट्रीय एथलीट, राष्ट्रीय चैंपियन और कई सम्मानों के विजेता अठारह वर्षीय लखनऊ के दिव्यांश श्रीवास्तव लगातार शानदार प्रदर्शन करने वाले सबसे कम उम्र के लोगों में से एक हैं। उन्होंने कई चुनौतियों का सामना करते हुए न सिर्फ अपने माता-पिता को गौरव बढ़ाया बल्कि पूरे देश के सामने एक उदाहरण स्थापित किया है।
दिव्यांश ने 2021 में यूटीटी नेशनल रैकिंग टेबल टेनिस चैंपियनशिप में यूथ बालक अंडर-7 का खिताब 4-3 से जीता था। उसी समय उन्होंने लखनऊ जिला टेबल टेनिस चैंपियनशिप में भी चारों फाइनल जीते थे और पुरुष एकल, यूथ बालक, जूनियर बालक और सब-जूनियर बालक वर्ग की विजेता ट्रॉफी जीती थी।
दिव्यांश के अनुसार आप जब देश के लिए खेलते हैं और जब राष्ट्रगान शुरू होता है, तो आपके हाथ में आने वाले रोंगटे वास्तव में यह निर्धारित करते हैं कि आप देश के लिए खेल रहे हैं और मैं यह महसूस करना चाहता हूं। मुझे अपने देश से कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरणा मिलती है।
हर दिन और अपना 120 फीसदी देने के लिए ये पैडलर रोज लगभग 6 से 8 घंटे अभ्यास करता है। उनका मानना हैं कि रकभी भी किसी को यह परिभाषित न करने दें कि आप उन मापदंडों का उपयोग करके क्या करने में सक्षम हैं जो आप पर लागू नहीं होते हैं।
वो अभी आगे बढ़ने या कुछ विशिष्ट महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए कोई लक्ष्य लेकर नहीं चल रहे है लेकिन खेल खेलने का पूरा लुत्फ़ उठाना चाहते हैं।
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वैसे एक भारतीय पेशेवर टेबल टेनिस खिलाड़ी बनने की ख्वाहिश रखने वाले दिव्यांश की इच्छा राष्ट्रमंडल खेल, एशियाई खेलो और ओलंपिक खेलों में मैडल जीतना है ताकि वो न केवल देश का गौरव बढ़ा सके। दिव्यांश के अनुसार उनकी इस सफलता में प्रेरणा का जरिया उनके मां-पिता सहित परिवार का बिना शर्त समर्थन है।
उन्हें उम्मीद है कि यह खेल में एक सफल करियर बना सकेंगे. उनका मानना है कि ये वास्तव में एक उदाहरण देता है कि अलग बनने की कोशिश मत करो, बस खुद बनने की कोशिश करो, हर व्यक्ति अलग है और सिर्फ ‘आप’ होने से फर्क पड़ता है।
उनके अनुसार कभी भी किसी को यह न तय करने दें कि आप उन मापदंडों का उपयोग करके क्या करने में सक्षम हैं जो आप पर लागू नहीं होते हैं। दिव्यांश के अनुसार जब तक आप इसे गंभीरता से नहीं लेते तब तक आपको कभी पता नहीं चलेगा कि आप क्या करने में सक्षम हैं। वो खेलो इंडिया में पहली बार खेल रहे हैं।
पिछले 2-3 वर्षों से खेलो इंडिया में भाग लेने के लिए बहुत उत्सुक रहे इस खिलाड़ी के अनुसार, बच्चों को पालने, बढ़ने और अविश्वसनीय रूप से चमकने के लिए, प्रोत्साहित करने के लिए ऐसे आयोजन हर साल होने चाहिए।
उन्होंने कहा कि ये प्लेटफॉर्म वास्तव में युवाओं को अपने जीवन में अपने जुनून और सपनों को हासि करने में मदद कर सकता हैं। इससे एक बच्चे को सपने देखने के लिए बढ़ावा मिलने के साथ खेलों के लिए प्रोत्साहन में मदद मिल सकती है।