
दुष्कर्म के आरोपों का सामना कर रहे अंडमान निकोबार के पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नरैन को कलकत्ता हाईकोर्ट की सर्किट बेंच ने सोमवार को जमानत दे दी। जस्टिस चितरंजन दास और जस्टिस मोहम्मद निजामुद्दीन की सर्किट बेंच ने पूर्व मुख्य सचिव को सशर्त जमानत दी।
इसकी शर्तों के अनुसार अब जितेंद्र नरैन अंडमान निकोबार द्वीप में बिना आमंत्रण नहीं आ सकेंगे। पूर्व मुख्य सचिव पूर्व मुख्य सचिव के खिलाफ 21 वर्षीय एक महिला ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था। वही फैसले के बाद पीड़िता के वकील पथिक चंद्र दास ने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की बात कही।
नरैन को दी गई जमानत की शर्तो में उन्हें अपना पासपोर्ट जमा करने के निर्देश दिए गए हैं और वह बिना अनुमति विदेश नहीं जा सकेंगे। इसके अलावा वो गवाहों को प्रभावित करने के लिए अधिकारियों का इस्तेमाल नहीं करेंगे और किसी अधिकारी या फिर पीड़ित पक्ष को कॉल भी नहीं कर सकेंगे।
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बताते चले कि मुख्य सचिव के खिलाफ आरोपों की एसआईटी पड़ताल कर रही है। इस मामले में एसआईटी द्वारा दाखिल ने 935 पन्नों की चार्जशीट में में आरोपों का जिक्र करते हुए एसआईटी ने बताया कि पूर्व मुख्य सचिव ने अपने ओहदे का गलत इस्तेमाल करते हुए सबूतों को मिटाने की कोशिश की।
आरोपी पूर्व मुख्य सचिव ने पीड़िता को व्हाट्सएप पर कुछ वॉइस नोट भी भेजे थे। दरअसल पीड़िता ने आरोप लगाया था कि पूर्व मुख्य सचिव ने उसे सरकारी नौकरी देने के बहाने अपने आवास पर बुलाने के बाद कथित तौर पर पूर्व मुख्य सचिव और कई अन्य ने उसके साथ दुष्कर्म किया।