
उत्तराखंड के जोशीमठ जमीन धंसने के मामले में दरार का शिकार हो गई इमारतों को गिराने के फैसले के बाद इन घरों को गिराने के फैसले के बाद यहाँ से दर्जनों परिवार निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिए गए है। इस मामले में विशेषज्ञ और जोशीमठ के निवासी इस बारे में काफी समय से खतरे का अंदेशा जता रहे थे.
दरअसल इस एरिया में चल रही बिजली परियोजनाओ को इस समस्या का जिम्मेदार कहा जा रहा है। इसके साथ ही व्यावसायिक ढांचों का भी बड़े स्तर पर अनियोजित निर्माण भी एक वजह कहा जा रहा है।
जानकारी के अनुसार सुविधा बढ़ने पर जोशीमठ, ब्रदीनाथ मार्ग पर एक बड़ा पड़ाव बन गया। सर्दियों में बद्रीनाथ मंदिर के पट बंद होने पर देवता की मूर्ति यहीं लाई जाती है। ऐसे में लगभग सालभर पर्यटन कि धूम रहती है। यहाँ पर्यटकों की भारी आवाजाही के चलते पिछले दशकों में यहां होटल, रेस्तरां और धर्मशालाओं जैसे व्यावसायिक इमारते बड़े स्तर पर बनी है।
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दूसरी ओर बिजली परियोजनाओ से सरकारी थर्मल पावर कंपनी एनटीपीसी भी जुड़ी है। देश की सबसे बड़ी बिजली उत्पादक कंपनी एनटीपीसी के अनुसार उसके द्वारा बनाई जा रहीं सुरंगें और अन्य प्रॉजेक्ट जोशीमठ के संकट का कारण नहीं है।
बताते चले कि उत्तराखंड में चमोली जिले में लगभग 17 हजार लोगों की आबादी वाले जोशीमठ कसबे का हिंदू और सिख धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान है। ये बद्रीनाथ, हेमकुंड साहिब जैसे तीर्थों के अलावा फूलों की घाटी और औली के स्कीइंग स्लोप्स तक पहुंचने के रास्ते में आखिरी बड़ा सीमावर्ती शहर है।
कहा जाता है कि जोशीमठ, आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित किए गए चार मठों में से एक है। लाखों श्रद्धालु और पर्यटक हर साल इस कस्बे की यात्रा करते हैं। धार्मिक और पर्यटन की दृष्टि से अहम होने के अलावा जोशीमठ का सामरिक महत्व भी है।