इस गांव में 65 से 70 फीसदी घरों में एलपीजी गैस कनेक्शन नहीं, गोबर गैस से पकता है खाना
रिपोर्ट के अनुसार इस गांव में 65 से 70 फीसदी घरों में एलपीजी गैस कनेक्शन ही नहीं हैं, लेकिन लकड़ी वाला चूल्हा नहीं जलता हैं

आज के जीवन में अगर आप सुविधा के साथ रहना चाहते है तो इसमें ऊर्जा की सप्लाई का बहुत बड़ा रोल है। हालांकि सीमित स्त्रोत के चलते बढ़ती जरुरत को पूरा करना खासा चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। ऐसे में ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्रोत का महत्व बढ़ता जा रहा है।
हालांकि इस बीच कुछ लोग ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करते है, जो दूसरों के लिए एक मिसाल बन जाती है. ऐसा ही उदाहरण दिया है एक गांव ने, जिसका नाम है सागौनी। मध्य प्रदेश के सागर जिले के आदिवासी बाहुल्य केसली जनपद का सागौनी गांव जो गोबर से गैस बनाकर ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर हो गया है।
यहाँ लगभग 118 घर हैं, जिनमें से 73 घरों में शत-प्रतिशत गोबर गैस इस्तेमाल हो रही है। रिपोर्ट के अनुसार इस गांव में 65 से 70 फीसदी घरों में एलपीजी गैस कनेक्शन ही नहीं हैं, लेकिन लकड़ी वाला चूल्हा नहीं जलता हैं। बल्कि गोबर गैस का प्रयोग होता है।
यहाँ कई घरों में प्लांट में इतनी गैस बन जाती है, कि वे पड़ोसियों को भी गैस कनेक्शन दे सकते हैं। इन घरों में काफी अरसे से एलपीजी गैस कनेक्शन का प्रयोग नहीं हो रहा है और कुछ लोगों ने अपने कनेक्शन भी सरेंडर कर दिए हैं। इन्ही में से एक घर में तो पिछले 21 साल से गोबर गैस का उपयोग हो रहा है।
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रिपोर्ट के अनुसार इस गांव में 21 साल पहले पहला गोबर गैस प्लांट केसली के सागौनी में सबसे पहले ज्ञानसिंह के घर में लगा था और उनके यहाँ 21 साल से गोबर गैस से ही भोजन पक रहा है। दरअसल उनके घर में गाय-भैंस पली हैं तो गोबर की उन्हें प्रचुर सप्लाई मिलती रही. फिर गांव के अन्य घरों में भी गोबर गैस प्लांट लगा दिए गए।