
उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने के मामले में दरार का शिकार हो गई इमारतों को गिराने के फैसले के बाद कर्णप्रयाग के भी घरों में दरारें मिली हैं तो उत्तराखंड के कई और इलाकों में भी जमीन खिसकने और धंसने का खतरा मंडरा रहा है।
इस बीच नैनीताल का पांव कहे जाने वाला बलियानाला में कटाव से नैनीताल की हजारों की आबादी पर भी खतरा मंडरा रहा है। इस बीच भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने जोशीमठ की कुछ ऐसी सैटेलाइट फोटो जारी की है जिससे एक बार फिर सब लोग खौफजदा हो गए है।
दरअसल इस रिपोर्ट के अनुसार जोशीमठ शहर की जमीन 12 दिन में ही 5.4 सेमी धंस गयी है। इसरो के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर द्वारा जारी कार्टोसैट-2एस सैटेलाइट से ली गई फोटो के अनुसार शहर 27 दिसंबर से 8 जनवरी के बीच जोशीमठ 5.4 सेंटीमीटर नीचे चला गया है।
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दूसरी ओर देहरादून के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ रिमोट सेंसिंग ने भी दो साल की स्टडी रिपोर्ट जारी की थी कि जिसके अनुसार जोशीमठ हर साल 6.62 सेमी यानि लगभग 2.60 इंच धंस रहा है। इन सैटेलाइट फोटो से पता चलता है कि जोशीमठ-औली सड़क धंसने का खतरा कितना गंभीर है।
रिपोर्ट के अनुसार अबतक 589 सदस्यों वाले 169 परिवार राहत केंद्रों में भेजे गए है और जोशीमठ और पीपलकोटी में 835 कमरे राहत केंद्रों के तौर पर प्रयोग हो रहे है, जहां 3,630 लोग रह सकते हैं।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख केंद्रों में से एक राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी) के अनुसार कुछ दिनों के अंतराल में लगभग 5 सेमी सेमी नीचे जोशीमठ में हुआ जमीन धंसना शहर के मध्य भाग तक ही सीमित है।
रिपोर्ट के अनुसार जोशीमठ अप्रैल से नवंबर 2022 के बीच लगभग 9 सेंटीमीटर (-8.9 CM) धंसा था लेकिन 27 दिसंबर 2022 से 8 जनवरी 2023, यानी 12 दिन अंदर 5.4 सेंटीमीटर (-5.4 CM) नीचे धंस गया है। सैटेलाइट फोटो के अनुसार सेना के हेलीपैड और नरसिंह मंदिर के क्षेत्र की जमीन धंसने की प्रमुख जगहों के रूप में पहचान हुई है।