उत्तर प्रदेशलखनऊ
Trending

विकास प्राधिकरणों की व्यवसायिक संपत्तियों का ब्यौरा होगा ऑनलाइन

शासन ने व्यवसायिक, सामुदायिक सुविधाओं और स्कूल व कॉलेजों के लिए आरक्षित सभी जमीनों को ऑनलाइन करना अनिवार्य कर दिया है

लखनऊ: व्यवसायिक संपत्तियों को दबाकर अपने  चहेतों को मनमाने कीमत पर बेचने की बीमारी विकास प्राधिकरणों में काफी पुरानी है। इस पर लगाम लगाने के लिए शासन ने व्यवसायिक, सामुदायिक सुविधाओं और स्कूल व कॉलेजों के लिए आरक्षित सभी जमीनों को ऑनलाइन करना अनिवार्य कर दिया है।

इस बारे में पहले चरण में विकास प्राधिकरणों की 12062 करोड़ की व्यवसायिक संपत्ति चिह्नित की गयी है जिसकी  नीलामी होगी।  सभी विकास प्राधिकरणों से उनकी ऐसी संपत्तियों कि रिपोर्ट आवास बंधू को देने का निर्देश दिया गया है जो  आवासीय के इतर है लेकिन  अभी तक नहीं बिकी हैं।

इसके साथ ही  संपत्तियों के बारे में पूरी जानकारी ऑनलाइन करने को कहा गया है जिससे पता चल सके  भूमि का क्षेत्रफल कितना है और उसकी मौजूदा समय कितनी कीमत आरक्षित है। इसके साथ इन संपत्तियों को बेचने की प्रक्रिया शुरू करने के साथ इससे होने वाली आय की जानकारी बजट में देने का निर्देश दिया गया है ताकि इस बात का पता चल सके कि विकास प्राधिकरणों की वास्तविक आय कितनी है।

पढ़ें : लखनऊ में विशेष टीकाकरण अभियान आज से शुरू

दरअसल प्रमुख सचिव आवास नितिन रमेश गोकर्ण ने सभी विकास प्राधिकरणों और आवास विकास परिषद से उनके यहां की गैर आवासीय जमीनों की स्थिति की जानकारी तलब की थी।

फिर पता चला कि बड़े विकास प्राधिकरणों के पास व्यवसायिक संपत्तियां काफी संख्या हैं जिनमे से ज्यादातर  का ब्यौरा ऑनलाइन नहीं है और न ही इन्हें बेचा जा रहा है। वही विकास प्राधिकरण  की ओर से शासन में बदहाली का रोना रोया जाता हैं।

इस बारे में शासन को रिपोर्ट मिली कि आवास विकास परिषद के पास 1229, लखनऊ विकासस प्राधिकरण 634, आगरा 501, मेरठ 455, गाजियाबाद 384, बरेली 354, कानपुर 371, मुरादाबाद विकास प्राधिकरण के पास 229 व्यवसायिक संपत्ति हैं जबकि अन्य विकास प्राधिकरणों ने अभी तक पूरी जानकारी नहीं दी है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button