ऑस्ट्रेलिया की आबादी में बड़ा बदलाव, कम हुई ईसाई धर्म के मानने वालों की संख्या
तेजी से हो रहा हिंदू और इस्लाम हिंदू धर्म और इस्लाम धर्म का प्रसार

ऑस्ट्रेलिया में हर पाँच साल पर जनगणना होती है और 2021 में हुई ताजा जनगणना के अनुसार मिले आंकड़ो के चलते देश की आबादी में कुछ बड़े बदलाव का पता चला हैं। इसके पिछले सप्ताह जारी नई जनगणना के आंकड़े के अनुसार ऑस्ट्रेलिया की आबादी ढाई करोड़ से ज़्यादा हो गई है।
वहाँ की आबादी अब दो करोड़ 55 लाख है, जो 2016 में दो करोड़ 34 लाख थी और आंकड़ो के अनुसार पिछले पांच साल में यहाँ की आबादी में 21 लाख की वृद्धि हुई है और देश की औसत आमदनी भी थोड़ी बढ़ी है।
इसके अलावा और भी कई नई जानकारियाँ पता चली हैं और ऑस्ट्रेलिया में अब हिंदू और इस्लाम सबसे तेज़ी से बढ़ रहा धर्म हो गया है और ईसाई लोगों की संख्या अब 50 फ़ीसदी से कम हो गई है। हालांकि हिंदू और इस्लाम धर्म के मानने वाले अभी देश में 3-3 फीसदी ही है।
अब ऑस्ट्रेलिया में सिर्फ 44 फ़ीसदी ईसाई हैं जबकि लगभग 50 साल पहले लगभग 90 फ़ीसदी ईसाई थे। वैसे आधुनिक ऑस्ट्रेलिया आप्रवासी लोगों से बना है।
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हालांकि इतिहास मेंपहली बार हुआ है कि देश की आधी से ज़्यादा आबादी या तो विदेशों में पैदा हुई है या उनके माता पिता विदेशों से आये हैं। ऑस्ट्रेलिया में अभी सबसे ज़्यादा संख्या में ऐसे लोग है जिनका जन्म ऑस्ट्रेलिया में हुआ है, उसके बाद ऐसे लोग हैं जिनका जन्म इंग्लैंड में हुआ है।
इन दोनों देशों के बाद तीसरे नंबर पर भारत में पैदा हुए लोग है। दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया में ख़ुद को देसी या टोरेस स्ट्रेट आइलैंड के निवासियों की संख्या भी एक चौथाई बढ़ी है। एबीएस के अनुसार, इस समुदाय के लोग ख़ुद की देशी पहचान ज़ाहिर करने में अब पहले से ज़्यादा सहज महसूस कर रहे हैं।
हालांकि अब ऑस्ट्रेलिया में अपना घर ख़रीदना काफी मुश्किल हो गया है और तेज़ी से महंगाई होने से 1996 से अब तक बंधक रखी गई प्रॉपर्टी का हिस्सा बढ़कर दोगुना हो गया है।
2022 की एक रिपोर्ट के अनुसार, घर ख़रीदने के लिहाज से ऑस्ट्रेलिया के शहर पूरी दुनिया में सबसे ख़राब रैंकिंग में हैं जबकि 25 साल पहले ऑस्ट्रेलिया में लगभग एक चौथाई लोग घर ख़रीदते थे।
वैसे जनगणना के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार ऑस्ट्रेलिया में अभी तक ‘बेबी बूमर्स’ सबसे ज्यादा थे और अब ‘मिलेनियल’ की तादाद इनसे कुछ ज़्यादा हो चुकी है।
देश की आबादी में इन दोनों ही समूहों की हिस्सेदारी 21.5 फीसदी प्रतिशत है। जानकारों के अनुसार सरकार को अब आवास और बूढ़े लोगों के रहने की सुविधा पर ज़्यादा ध्यान देने की दरकार होगी।