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9वीं पास आदिवासी महिला रुक्मिणी कटारा ने ऐसे तय किया सोलर कंपनी के सीईओ का सफर

रुक्मिणी कटारा बताती है कि पहले वो नरेगा में मजदूरी करती थीं। फिर वो कुछ अलग करने की चाह में वे एक स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं। रुक्मिणी ने इस समूह से सोलर लैंप बनाना व सोलर प्लेट बनाने की ट्रेनिंग और फिर सोलर प्लेट इंस्टॉल करने में भी विशेषज्ञ हो गयी।

कभी नरेगा में मजदूरी करनेवाली डूंगरपुर के माड़वा खापरड़ा गांव की रुक्मिणी कटारा के सपने काफी बड़े थे। वो जीवन में कुछ अलग करते हुए समाज को कुछ उदाहरण देना चाहती थी।

हालांकि उनके सामने रुकावट कई आई लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और आज वो 50 महिलाओ को रोजगार दे रही है। ये सभी महिलाएं सोलर प्लेट, बल्ब व अन्य उपकरण बनाने का काम करते हुए जीवन यापन करती हैं।

रुक्मिणी कटारा आज डूंगरपुर रिनेबल एनर्जी टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी (दुर्गा सोलर कंपनी) की सीईओ हैं। अपने इस सफर के बारे में रुक्मिणी कटारा बताती है कि पहले वो नरेगा में मजदूरी करती थीं। फिर वो कुछ अलग करने की चाह में वे एक स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं।

बस यही से उनकी जिंदगी की दिशा बदल गई। रुक्मिणी ने इस समूह से सोलर लैंप बनाना व सोलर प्लेट बनाने की ट्रेनिंग और फिर सोलर प्लेट इंस्टॉल करने में भी विशेषज्ञ हो गयी। फिर रुक्मिणी दुर्गा सोलर कंपनी से जुड़कर सुरपरवाइजर के तौर पर काम करने लगीं।

फिर उनकी निपुणता और समर्पण देखते हुए रुक्मिणी कटारा को कंपनी का सीईओ बनाया गया। इस कंपनी ने पिछले पांच साल में 3.50 करोड़ रुपए से अधिक का टर्न ओवर हासिल किया। रुक्मिणी के अनुसार जब मैं 9वीं की पढ़ाई करके किसी कंपनी की सीईओ बन सकती हैं तो दूसरी आदिवासी महिलाएं भी ऐसा ही काम कर सकती हैं।

राजस्थान के सबसे पिछड़े जिले से आने वाली रुक्मिणी के गांव में अधिकतर आदिवासी महिलाएं मज़दूरी करती हैं।  उनकी ये भी इच्छा थी की आदिवासी महिलाओं की परेशानियों को दूर करने में वे कुछ योगदान कर सकें।
बताते चले कि रुक्मिणी के परिवार में पति कमलेश, 3 बेटे और 1 बेटी हैं।

उनका बड़ा बेटा राकेश व बेटी आशा बीएड की पढ़ाई कर रहे हैं और छोटे बेटे प्रवीण और युवराज अभी कॉलेज में पढ़ाई कर रहे हैं।

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रुक्मिणी कटारा के अनुसार साल 2016 में दिल्ली में हुए एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनको व अन्य महिलाओं को सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि महिलाए कभी भी इस बात से निराश नहीं हो कि वो कम पढ़ी-लिखी हैं लेकिन कम पढ़ाई के बाद भी महिला जीवन में आगे बढ़ सकती हैं।

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