लखनऊ। हुसैनगंज में 140 साल पुराने शिव मंदिर पर कब्जे और उसके ऊपर बनाए गए कांप्लेक्स को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। स्थानीय निवासियों की शिकायत के बाद लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
मामला क्या है?
महाराणा प्रताप चौराहे के पास स्थित दिलकुशा प्लाजा कांप्लेक्स के नीचे 1885 में बना ऐतिहासिक शिव मंदिर है। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि मंदिर की जमीन को कूटरचित तरीके से 1992 में बेचा गया, जिसके बाद इसके ऊपर कांप्लेक्स बना दिया गया। मंदिर के पुजारी यज्ञ मणि दीक्षित ने बताया कि यह मंदिर उनके पूर्वजों द्वारा स्थापित किया गया था और यहां उनके परिवार ने पीढ़ियों तक पूजा-अर्चना की है।
शिकायत मिलने के बाद एलडीए के प्रवर्तन जोन-छह के जोनल अधिकारी शशिभूषण राय ने अपनी टीम के साथ जांच की। कांप्लेक्स के मालिक डॉ. शाहिद हुसैन को नोटिस भेजकर एक सप्ताह के भीतर मानचित्र और अन्य संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा गया है।
स्थानीय लोगों की मांग : स्थानीय निवासियों और मंदिर भक्ति समिति ने निर्माण पर रोक लगाने और मंदिर की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है। उनका कहना है कि कांप्लेक्स बनने से मंदिर की पवित्रता और धार्मिक महत्व पर असर पड़ा है।
कांप्लेक्स के मालिक का पक्ष : डॉ. शाहिद हुसैन ने सभी आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि उन्होंने जमीन खरीदी थी और इसका निर्माण एलडीए से स्वीकृत मानचित्र के आधार पर किया गया है।
140 साल पुराना है मंदिर : मंदिर का निर्माण जराज सिंह ने 1885 में कराया था। यह मंदिर स्थानीय लोगों के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है।एलडीए जांच के बाद तय करेगा कि कांप्लेक्स का निर्माण वैध है या नहीं। यदि निर्माण अवैध पाया गया, तो कानूनी कार्रवाई हो सकती है। मामले को लेकर स्थानीय लोग और धार्मिक संगठन लगातार विरोध कर रहे हैं।